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महा कुंभ 2025 की तारीखें खगोलशास्त्र पर आधारित हैं, जहां सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की विशेष स्थिति गंगा, यमुना और सरस्वती संगम को पवित्र बनाती है।
2025 का महा कुंभ विशेष इसलिए है क्योंकि यह पिछले कुंभ से 12 साल के बाद पहली बार पड़ रहा है, जो खगोलीय चक्रों के अनुसार पूर्ण महत्ता रखता है।
मकर संक्रांति (15 जनवरी) के दौरान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा लाता है, जो 2025 में दुर्लभ है।
2025 का कुंभ पहली बार पूर्णतः डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीमिंग के साथ किया जाएगा, जिससे भक्त इसे कहीं से भी देख सकें।
इस बार प्लास्टिक मुक्त कुंभ का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें जैविक सामग्रियों का उपयोग होगा।
महा कुंभ 2025 में सरस्वती नदी की प्राचीन धारा को फिर से पहचानने और संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
2025 में भारत के 13 अखाड़ों के आचार्यों का अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन आयोजित होगा।
2025 का कुंभ महिला संतों को समर्पित कई अनूठी परंपराओं का साक्षी बनेगा।
कुंभ की तारीखें केवल खगोलीय गणना से ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय मान्यताओं के आधार पर भी तय होती हैं।
महा कुंभ 2025 को UNESCO ने सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा है।
2025 में संगम के कुछ विशेष स्नान स्थलों का पहली बार सार्वजनिक रूप से उल्लेख होगा।
इस महा कुंभ में पहली बार दुर्लभ धार्मिक पांडुलिपियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
1. कुंभ 2025 के दौरान गंगा सफाई के लिए सरकार द्वारा सबसे बड़ी पहल की जाएगी।