हनुमान चालीसा हिंदी में PDF (Hanuman Chalisa Hindi pdf) – हनुमान चालीसा हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था। इसमें भगवान हनुमान के गुणों और लीलाओं का वर्णन है। हनुमान चालीसा के पाठ से मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
हनुमान चालीसा के रचयिता
तुलसीदास का जीवन
गोस्वामी तुलसीदास एक महान संत और कवि थे, जिनका जन्म 1532 में उत्तर प्रदेश के राजापुर गाँव में हुआ था। उन्होंने कई धार्मिक ग्रंथों की रचना की, जिनमें रामचरितमानस और हनुमान चालीसा प्रमुख हैं।
तुलसीदास और हनुमान जी का संबंध
तुलसीदास हनुमान जी के परम भक्त थे। उनकी मान्यता थी कि हनुमान जी की कृपा से ही उन्हें भगवान राम के दर्शन हुए। हनुमान चालीसा के माध्यम से उन्होंने हनुमान जी की महिमा का गुणगान किया।
हनुमान चालीसा का ढांचा
श्लोकों की संख्या और स्वरूप
हनुमान चालीसा में कुल 40 श्लोक होते हैं, जिन्हें चौपाई कहा जाता है। प्रत्येक चौपाई में चार पंक्तियाँ होती हैं।
श्लोकों की संरचना और भाषा
हनुमान चालीसा की भाषा अवधी है, जो तुलसीदास की मातृभाषा थी। इसमें सरल और प्रभावी भाषा का प्रयोग किया गया है, जिससे सभी लोग इसे आसानी से समझ सकते हैं।

हनुमान चालीसा हिंदी में
दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि |
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||
“श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।”
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ||
“हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।”
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥1॥
“श्री हनुमान जी!आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।”
राम दूत अतुलित बलधामा,
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा ॥2॥
“हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं है।”
महावीर विक्रम बजरंगी,
कुमति निवार सुमति के संगी ॥3॥
“हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।”
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥4॥
“आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।”
हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे,
काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥5॥
“आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।”
शंकर सुवन केसरी नंदन,
तेज प्रताप महा जग वंदन ॥6॥
“हे शंकर के अवतार!हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।”
विद्यावान गुणी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर ॥7॥
“आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।”
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया ॥8॥
“आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है।”
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥9॥
“आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।”
भीम रूप धरि असुर संहारे,
रामचन्द्र के काज संवारे ॥10॥
“आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल कराया।”
लाय सजीवन लखन जियाये,
श्री रघुवीर हरषि उर लाये ॥11॥
“आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।”
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिय भरत सम भाई ॥12॥
“श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।”
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,
अस कहि श्री पति कंठ लगावैं ॥13॥
“श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।”
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,
नारद, सारद सहित अहीसा ॥14॥
“श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।”
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते,
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥15॥
“यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।”
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा,
राम मिलाय राजपद दीन्हा ॥16॥
“आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।”
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना,
लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥17॥
“आपके उपदेश का विभीषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।”
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥18॥
“जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।”
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि,
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥19॥
“आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।”
दुर्गम काज जगत के जेते,
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥20॥
“संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।”
राम दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥21॥
“श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।”
सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥
“जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।”
आपन तेज सम्हारो आपै,
तीनों लोक हाँक ते काँपै ॥23॥
“आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।”
भूत पिशाच निकट नहिं आवै,
महावीर जब नाम सुनावै ॥24॥
“जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।”
नासै रोग हरै सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥
“वीर हनुमान जी!आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है, और सब पीड़ा मिट जाती है।”
संकट तें हनुमान छुड़ावै,
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥26॥
“हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।”
सब पर राम तपस्वी राजा,
तिनके काज सकल तुम साजा ॥27॥
“तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।”
और मनोरथ जो कोइ लावै,
सोई अमित जीवन फल पावै ॥28॥
“जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।”
चारों जुग परताप तुम्हारा,
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ 29॥
“चारों युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।”
साधु सन्त के तुम रखवारे,
असुर निकंदन राम दुलारे ॥30॥
“हे श्री राम के दुलारे ! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।”
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,
अस बर दीन जानकी माता ॥31॥
“आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।”
राम रसायन तुम्हरे पासा,
सदा रहो रघुपति के दासा ॥32॥
“आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।”
तुम्हरे भजन राम को पावै,
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥33॥
“आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।”
अन्त काल रघुबर पुर जाई,
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥34॥
“अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।”
और देवता चित न धरई,
हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥35॥
“हे हनुमान जी!आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।”
संकट कटै मिटै सब पीरा,
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥36॥
“हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।”
जय जय जय हनुमान गोसाईं,
कृपा करहु गुरु देव की नाई ॥37॥
“हे स्वामी हनुमान जी!आपकी जय हो, जय हो, जय हो!आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।”
जो सत बार पाठ कर कोई,
छुटहि बँदि महा सुख होई ॥38॥
“जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।”
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥39॥
“भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।”
तुलसीदास सदा हरि चेरा,
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥40॥
“हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।”
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभुप॥
“हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरूप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।”
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मुख्य संदेश और उपदेश
हनुमान चालीसा का मुख्य संदेश है कि भगवान हनुमान के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए। इसमें बताया गया है कि हनुमान जी अपने भक्तों की सभी समस्याओं का समाधान करते हैं।
हनुमान चालीसा का महत्व
आध्यात्मिक लाभ
हनुमान चालीसा का पाठ करने से आत्मा की शुद्धि होती है और भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है। इससे आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
मानसिक और शारीरिक लाभ
हनुमान चालीसा के नियमित पाठ से मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह तनाव और चिंता को दूर करता है और मन को स्थिर रखता है।
हनुमान चालीसा का पाठ
पाठ की विधि
हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं। फिर शुद्ध मन से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
पाठ के समय और स्थान
हनुमान चालीसा का पाठ सुबह और शाम के समय करना सबसे अच्छा होता है। इसे किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर किया जाना चाहिए।
हनुमान चालीसा के चमत्कार
वास्तविक जीवन की कहानियाँ
कई लोगों ने हनुमान चालीसा के पाठ से अपने जीवन में अद्भुत चमत्कार देखे हैं। उदाहरण के लिए, कई लोग अपनी बीमारियों से मुक्त हुए हैं और उन्हें मानसिक शांति प्राप्त हुई है।
आस्था और विश्वास की भूमिका
हनुमान चालीसा के चमत्कारों के पीछे आस्था और विश्वास की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब हम पूरे विश्वास के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, तब हमें उसके लाभ मिलते हैं।
हनुमान जी का जीवन परिचय
जन्म और बाल्यकाल
हनुमान जी का जन्म अंजनी और केसरी के पुत्र के रूप में हुआ था। वे बचपन से ही अत्यंत बलशाली और बुद्धिमान थे। उनका बाल्यकाल अद्भुत घटनाओं से भरा हुआ था।
हनुमान जी के प्रमुख कार्य
हनुमान जी ने रामायण में भगवान राम की सेवा करते हुए कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जैसे लंका दहन, संजीवनी बूटी लाना, और सीता माता की खोज।
हनुमान जी के प्रमुख मंदिर
भारत में हनुमान जी के प्रसिद्ध मंदिर
भारत में कई प्रमुख हनुमान मंदिर हैं, जैसे दिल्ली का हनुमान मंदिर, उज्जैन का महाकालेश्वर हनुमान मंदिर, और हंपी का हनुमान मंदिर।
विदेशों में हनुमान जी के मंदिर
विदेशों में भी हनुमान जी के कई मंदिर हैं, जैसे त्रिनिदाद और टोबैगो, मॉरिशस, और फिजी में। ये मंदिर भारतीय समुदाय द्वारा बनाए गए हैं।
हनुमान जी के विभिन्न रूप
पंचमुखी हनुमान
पंचमुखी हनुमान का रूप अत्यंत अद्भुत और प्रभावशाली है। इसमें हनुमान जी के पाँच मुख होते हैं, जो उनकी शक्ति और महिमा का प्रतीक हैं।
बाल हनुमान
बाल हनुमान का रूप विशेष रूप से बच्चों के लिए प्रिय है। इसमें हनुमान जी को बालक के रूप में दिखाया गया है, जो अत्यंत सुंदर और आकर्षक है।
हनुमान जी और रामायण
रामायण में हनुमान जी की भूमिका
रामायण में हनुमान जी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे भगवान राम के सबसे बड़े भक्त और सहयोगी थे। उन्होंने राम और रावण के युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राम भक्त हनुमान
हनुमान जी राम भक्त के रूप में विख्यात हैं। उनकी भक्ति और समर्पण का वर्णन रामायण में विस्तार से किया गया है।
हनुमान जी के उपदेश
प्रमुख उपदेश और संदेश
हनुमान जी के उपदेश सरल और प्रभावशाली हैं। उन्होंने बताया कि हमें भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखनी चाहिए। हमें सच्चाई और ईमानदारी के मार्ग पर चलना चाहिए।
जीवन में हनुमान जी के उपदेशों का महत्व
हनुमान जी के उपदेश जीवन में सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उनसे हमें सीख मिलती है कि कठिनाइयों का सामना कैसे करना चाहिए और भगवान पर अटूट विश्वास कैसे रखना चाहिए।
हनुमान चालीसा और विज्ञान
हनुमान चालीसा के वैज्ञानिक पहलू
विज्ञान भी हनुमान चालीसा के लाभों को मान्यता देता है। इसके नियमित पाठ से मानसिक शांति और ध्यान में सुधार होता है, जो हमारे मस्तिष्क और शरीर के लिए फायदेमंद है।
आधुनिक समय में हनुमान चालीसा का प्रभाव
आधुनिक समय में भी हनुमान चालीसा का प्रभाव देखा जा सकता है। कई लोग तनाव और अवसाद से मुक्त होने के लिए इसका पाठ करते हैं।
पर्व और त्यौहार पर हनुमान चालीसा का पाठ
हनुमान जयंती
हनुमान जयंती हनुमान जी का जन्मदिन है, जो चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और हनुमान जी की पूजा करते हैं।
अन्य त्यौहार जिनमें हनुमान जी की पूजा होती है
हनुमान जी की पूजा अन्य त्यौहारों जैसे दशहरा और दीपावली में भी होती है। इन अवसरों पर हनुमान चालीसा का पाठ विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।
निष्कर्ष
हनुमान चालीसा एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है, जो भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करता है। इसका पाठ करने से हमें आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता, और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है। हमें हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए और हनुमान जी के उपदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
FAQs
हनुमान चालीसा कब और कैसे पढ़ना चाहिए?
हनुमान चालीसा का पाठ सुबह और शाम के समय करना सबसे अच्छा होता है। इसे किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर किया जाना चाहिए।
हनुमान चालीसा का पाठ करने के क्या लाभ हैं?
हनुमान चालीसा का पाठ करने से आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता, और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यह तनाव और चिंता को दूर करता है।
क्या हनुमान चालीसा का पाठ केवल हिंदू ही कर सकते हैं?
हनुमान चालीसा का पाठ कोई भी कर सकता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। इसमें भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान है, जो सभी के लिए फायदेमंद है।
क्या हनुमान चालीसा के पाठ के लिए विशेष नियम होते हैं?
हनुमान चालीसा के पाठ के लिए कोई विशेष नियम नहीं होते, लेकिन इसे शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ पढ़ना चाहिए।
हनुमान चालीसा के पाठ से जुड़ी कुछ मुख्य बातें
हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। इसे पढ़ते समय भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाना चाहिए। पाठ के बाद भगवान हनुमान की आरती करनी चाहिए।