श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी PDF – अनुवाद

नमस्ते दोस्तों आज हम इस पोस्ट में जानेगे श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अनुवाद अर्थ सहित (Ram Raksha Stotra) श्री राम जी को प्रसन्न करने के लिए हमें श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। श्री राम रक्षा स्तोत्र महर्षि बुद्ध कौशिक व्दारा रचित हैं। यह स्तोत्र भगवान राम व्दारा हमारी रक्षा के लिए लिखा गया था।

इसके माध्यम से भगवान राम की कृपा, संरक्षण और शक्ति प्राप्त करने की प्रार्थना की जाती है। इसमें भगवान राम के विभिन्न रूपों और उनके गुणों का वर्णन किया गया है,यह स्तोत्र बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से राम जी की कृपा प्राप्त होती है। जिससे भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है।

श्री राम रक्षा स्तोत्र क्या है?

श्री राम रक्षा स्तोत्र एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक ग्रंथ है, जो भगवान श्रीराम की स्तुति और रक्षा के लिए रचा गया है। इसे पढ़ने से मनुष्य को मानसिक शांति और सुरक्षा प्राप्त होती है।

श्री राम रक्षा स्तोत्र का महत्त्व

श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है।

राम रक्षा स्तोत्र का इतिहास – स्तोत्र की उत्पत्ति

श्री राम रक्षा स्तोत्र की उत्पत्ति महान संत बुधकौशिक ऋषि के द्वारा की गई थी। ऐसा माना जाता है कि स्वयं भगवान शिव ने उन्हें यह स्तोत्र प्रदान किया था।

लेखक की जानकारी

बुधकौशिक ऋषि, जिन्होंने राम रक्षा स्तोत्र की रचना की, एक महान संत थे और भगवान राम के परम भक्त थे। उनके द्वारा रचित यह स्तोत्र आज भी अनेक भक्तों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है।

राम रक्षा स्तोत्र के श्लोक – प्रमुख श्लोक और उनके अर्थ

श्री राम रक्षा स्तोत्र में 38 श्लोक हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना महत्व और अर्थ है। ये श्लोक भगवान राम की महिमा का गुणगान करते हैं और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

श्लोकों का विवरण

प्रत्येक श्लोक भगवान राम की विभिन्न लीलाओं और गुणों का वर्णन करता है। इन श्लोकों का पाठ करने से व्यक्ति को भगवान राम के आदर्श और उनकी शिक्षाओं का पालन करने की प्रेरणा मिलती है।

राम रक्षा स्तोत्र का पाठ कैसे करें? – (Ram Raksha Stotra In Hindi)

पाठ का सही समय और विधि

श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने का सबसे अच्छा समय प्रातःकाल और सायंकाल होता है। इसे स्वच्छ और शांतिपूर्ण स्थान पर बैठकर करना चाहिए। पाठ करने से पहले भगवान राम की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाना चाहिए।

पाठ के नियम

श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने के कुछ नियम हैं जिन्हें पालन करना चाहिए। जैसे कि स्वच्छता, ध्यान, और श्रद्धा से पाठ करना। इससे पाठ का प्रभाव अधिक होता है।

श्री राम रक्षा स्तोत्र के लाभ

मानसिक शांति

श्री राम रक्षा स्तोत्र पाठ संस्कृत में करने से मानसिक शांति मिलती है। यह स्तोत्र मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है और चिंता को दूर करता है।

सुरक्षा और रक्षा

श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति की सुरक्षा होती है। इसे पढ़ने से जीवन में आने वाली बाधाओं और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है।

आध्यात्मिक लाभ

श्री राम रक्षा स्तोत्र पाठ संस्कृत में करने से आध्यात्मिक विकास होता है। यह व्यक्ति को भगवान राम के निकट ले जाता है और उन्हें उनकी कृपा प्राप्त होती है।

राम रक्षा स्तोत्र का प्रभाव

व्यक्तिगत अनुभव

श्री राम रक्षा स्तोत्र का प्रभाव अनेक लोगों के जीवन में देखा गया है। अनेक भक्तों ने इसके पाठ से अपने जीवन में चमत्कारिक बदलाव अनुभव किए हैं।

सामूहिक अनुभव

सामूहिक रूप से श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से सामूहिक लाभ होते हैं। यह समाज में शांति और सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है।

राम रक्षा स्तोत्र का अनुसंधान

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से श्री राम रक्षा स्तोत्र का अध्ययन किया गया है और इसके पाठ से मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से श्री राम रक्षा स्तोत्र का अध्ययन किया गया है और इसके पाठ से व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में योगदान पाया गया है।

यह स्तोत्र विशेष रूप से संकटों से मुक्ति, भय से रक्षा, और आत्मबल को मजबूत करने के लिए प्रभावी माना जाता है। तो आइये जानते है (ram raksha stotra in hindi) श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अनुवाद अर्थ सहित इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़े 

यहाँ श्री राम रक्षा स्तोत्र का हिंदी अनुवाद अर्थ सहित 

श्रीरामरक्षास्तोत्रम्

अस्य श्रीरामचन्द्रस्य रामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य।

 बुधकौशिक ऋषिः। 

श्रीसीतारामचन्द्रो देवता। 

अनुष्टुप् छन्दः। 

सीता शक्तिः। 

श्रीमान हनुमान कीलकम्। 

श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः॥

अथ ध्यानम्

ध्यानम् ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं।

 पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्॥ 

वामाङ्कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं। 

नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचन्द्रम्॥

इति ध्यानम्‌

 जो भगवान राम लंबे बाहु वाले, धनुष-बाण धारण किए हुए, पद्मासन में बैठे हैं। पीतांबर वस्त्र पहने, प्रसन्नमुख और कमल की पंखुड़ी के समान नेत्र वाले हैं। जिनकी बायीं ओर माता सीता विराजमान हैं। जिनका मुख कमल के समान और बादल के समान श्यामवर्ण है। जो विभिन्न आभूषणों से सुशोभित हैं और जिनके सिर पर जटाओं का मुकुट है, उन श्रीराम का ध्यान करें।

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्। 

एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥ 1

रघुनाथ का चरित्र सौ करोड़ विस्तार वाला है। इसका एक-एक अक्षर मनुष्यों के महापापों को नष्ट करने वाला है।

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।

 जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम्॥ 2

नीलकमल के समान श्याम, कमलनयन, जानकी और लक्ष्मण से युक्त, जटामुकुट से सुशोभित राम का ध्यान करें।

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्। 

स्वलीलया जगत्त्रातुं आविर्भूतं अजं विभुम्॥ 3

जिनके हाथ में खड्ग, तूणीर, धनुष और बाण हैं, जो राक्षसों का संहार करते हैं, जो अपनी लीला से जगत की रक्षा के लिए प्रकट हुए हैं, उन अजन्मा विभु राम का ध्यान करें।

रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्। 

शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः॥ 4

प्रज्ञावान व्यक्ति रामरक्षा का पाठ करें, जो पापों का नाश करने वाली और सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली है। मेरे सिर की रक्षा राघव करें, और ललाट की रक्षा दशरथ के पुत्र करें।

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती। 

घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः॥ 5

कौसल्या के पुत्र मेरे नेत्रों की रक्षा करें, विश्वामित्र के प्रिय मेरे कानों की रक्षा करें, यज्ञरक्षक राम मेरी नासिका की रक्षा करें, और सौमित्र (लक्ष्मण) के प्रिय मेरे मुख की रक्षा करें।

जिव्हां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः। 

स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः॥ 6

विद्यानिधि राम मेरी जिव्हा की रक्षा करें, भरत द्वारा वंदित राम मेरे कण्ठ की रक्षा करें, दिव्यायुध राम मेरे स्कन्ध (कंधों) की रक्षा करें, और भग्नेशकार्मुक राम मेरी भुजाओं की रक्षा करें।

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित्। 

मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः॥ 7

सीता पति राम मेरे हाथों की रक्षा करें, जामदग्न्य को जीतने वाले राम मेरे हृदय की रक्षा करें, खर का वध करने वाले राम मेरे मध्य भाग की रक्षा करें, और जाम्बवान के आश्रयदाता राम मेरी नाभि की रक्षा करें।

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः। 

ऊरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत्॥ 8

सुग्रीव के स्वामी राम मेरी कटी (कमर) की रक्षा करें, हनुमान के स्वामी राम मेरे जंघाओं की रक्षा करें, रघुकुल श्रेष्ठ राम मेरे ऊरुओं की रक्षा करें, और राक्षसों का विनाश करने वाले राम मेरी रक्षा करें।

जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तकः।

 पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः॥ 9

सेतु का निर्माण करने वाले राम मेरे घुटनों की रक्षा करें, दशानन का अंत करने वाले राम मेरी जंघाओं की रक्षा करें, विभीषण को श्री देने वाले राम मेरे पैरों की रक्षा करें, और राम मेरे सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करें।

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्। 

स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्॥ 10

जो भी इस रामबल से युक्त रामरक्षा का पाठ करता है, वह दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी और विनयी होता है।

पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः।

 न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः॥ 11

 पाताल, पृथ्वी, आकाश में विचरण करने वाले और छद्मवेष में रहने वाले राक्षस रामनाम से रक्षित व्यक्ति को देखने में भी सक्षम नहीं होते।

रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति यः स्मरेत्। 

नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥ 12

जो व्यक्ति ‘राम’, ‘रामभद्र’ और ‘रामचंद्र’ का स्मरण करता है, वह पापों में लिप्त नहीं होता और उसे भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं।

जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाऽभिरक्षितम्। 

यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः॥ 13

जगत को जीतने वाले एकमात्र मंत्र रामनाम से जो रक्षित होता है और इसे अपने कंठ में धारण करता है, उसके हाथों में सभी सिद्धियाँ होती हैं।

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत। 

अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम्।। 14

 जो व्यक्ति इस वज्रपंजर नामक रामकवच का स्मरण करता है, उसकी आज्ञा सर्वत्र अव्याहत (अवरोध रहित) रहती है और वह सर्वत्र जय और मंगल (सफलता और शुभता) प्राप्त करता है।

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः।

 तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः।। 15

भगवान शिव ने स्वप्न में जैसे राम रक्षा स्तोत्र की आज्ञा दी थी, वैसे ही प्रातःकाल जागृत होकर बुद्धिमान बुद्धकौशिक ऋषि ने इसे लिखा।

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्। 

अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः।। 16

भगवान राम कल्पवृक्षों (इच्छा पूरी करने वाले वृक्षों) की तरह सुखदायक हैं, सभी कष्टों का नाश करने वाले हैं। वे तीनों लोकों के लिए अत्यंत प्रिय और मनोहर हैं। ऐसे श्रीमान राम हमारे प्रभु हैं।

तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ। 

पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ।। 17

ये दोनों भाई (राम और लक्ष्मण) युवा, रूपवान, कोमल और महान बलशाली हैं। उनके विशाल कमल जैसे नेत्र हैं और वे वल्कल वस्त्र और काले मृगचर्म धारण किए हुए हैं।

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ। 

पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ।। 18

ये दोनों भाई (राम और लक्ष्मण) फल-मूल खाने वाले, संयमी, तपस्वी और ब्रह्मचारी हैं। ये दशरथ के पुत्र हैं और भाई हैं।

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्। 

रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ।। 19

जो सभी प्राणियों के शरण देने वाले हैं, जो सभी धनुर्धारियों में श्रेष्ठ हैं, और जो राक्षस कुल का नाश करने वाले हैं, वे रघुकुल के श्रेष्ठ भगवान राम और लक्ष्मण हमारी रक्षा करें।

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्षयाशुगनिषङ्गसङ्गिनौ।

 रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम्।। 20

जिन्होंने सज्जित धनुष धारण कर रखा है और जो बाणों को छू रहे हैं, जिनके पास तेज गति वाले बाणों का तरकश है, वे राम और लक्ष्मण मेरी रक्षा के लिए सदैव मेरे पथ (मार्ग) में आगे-आगे चलते रहें।

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा।

 गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः।। 21

जो सन्नद्ध (संपूर्ण रूप से सुसज्जित) हैं, कवच धारण किए हुए हैं, खड्ग (तलवार) और धनुष-बाण धारण किए हुए हैं, वे युवा राम और लक्ष्मण हमारी इच्छाओं को पूर्ण करते हुए हमारी रक्षा करें।

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली। 

काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः॥ 22

अर्थ: दशरथ के पुत्र राम शूरवीर, लक्ष्मण के अनुचर (साथी), बलवान, काकुत्स्थ, पूर्ण पुरुष, कौसल्या के पुत्र और रघुकुल के उत्तम हैं।

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः। 

जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेय पराक्रमः॥ 23

वेदांत से जानने योग्य, यज्ञ के स्वामी, पुराणों के श्रेष्ठ पुरुष, जानकी के पति, श्रीमान और अपार पराक्रम वाले हैं।

इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः। 

अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः॥ 24

जो भी भक्त श्रद्धा और विश्वास से इन नामों का नित्य जप करता है, वह अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक पुण्य प्राप्त करता है, इसमें कोई संदेह नहीं है।

रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्।

 स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः॥ 25

जो राम को दूर्वा दल के समान श्यामवर्ण, कमल के नेत्र और पीताम्बर वस्त्र वाले के रूप में दिव्य नामों से स्तुति करते हैं, वे संसार के बंधन में नहीं पड़ते।

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरम्

काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्

राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं

 वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम।।  26

लक्ष्मण के अग्रज, रघुकुल के श्रेष्ठ, सीता के पति, सुन्दर राम, काकुत्स्थ, करुणा के सागर, गुणों के निधान, ब्राह्मणों के प्रिय और धर्म के आचरण करने वाले हैं।

जो राजाओं के राजा हैं, सत्य के प्रति संकल्पित हैं, दशरथ के पुत्र हैं, श्यामवर्ण और शांत स्वरूप हैं, जो संपूर्ण लोक को प्रिय हैं, रघुकुल के तिलक (गौरव) हैं, और रावण के शत्रु हैं, ऐसे राघव (भगवान राम) को मैं वंदन (प्रणाम) करता हूँ।

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे। 

रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥ 27

राम, रामभद्र, रामचंद्र, रघुनाथ, सीता के पति को नमस्कार है।

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम।

 श्रीराम राम भरताग्रज राम राम॥

श्रीराम राम रणकर्कश राम राम। 

श्रीराम राम शरणं भव राम राम।। 28

श्रीराम, राम, रघुकुल के आनन्ददाता राम, राम, श्रीराम, राम, भरत के अग्रज राम, राम।

हे श्रीराम! युद्ध में कठोर (पराक्रमी) श्रीराम! हे श्रीराम! मुझे अपनी शरण में ले लीजिए, हे श्रीराम!

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि। 

श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि। 

श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि।

 श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये॥ 29

श्रीरामचंद्र के चरणों को मन से स्मरण करता हूँ। श्रीरामचंद्र के चरणों का वाणी से गुणगान करता हूँ। श्रीरामचंद्र के चरणों को सिर से नमस्कार करता हूँ। श्रीरामचंद्र के चरणों की शरण में जाता हूँ।

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः। 

स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः। 

सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुः। 

नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥ 30

राम मेरी माता हैं, रामचंद्र मेरे पिता हैं। राम मेरे स्वामी हैं, रामचंद्र मेरे सखा (मित्र) हैं। मेरा सर्वस्व दयालु रामचंद्र ही हैं। मैं अन्य किसी को नहीं जानता, नहीं जानता, नहीं जानता।

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा। 

पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्॥ 31

जिनके दक्षिण (दायें) में लक्ष्मण हैं, जिनके वाम (बायें) में जानकी हैं, और जिनके आगे मारुति (हनुमान) हैं, उन रघुनन्दन राम को वंदन करता हूँ।

लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं। 

राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्। 

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं। 

श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥ 32

लोकों को अभिराम, रणभूमि के धीर, कमलनयन, रघुवंश के स्वामी, करुणारूप, करुणाकर रामचंद्र की शरण में जाता हूँ।

मनोजवं मारुततुल्यवेगम्। 

जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। 

वातात्मजं वानरयूथमुख्यम्।

 श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥ 33

मनोजव (मन के समान वेग वाले), मारुति के समान वेग वाले, जितेन्द्रिय, बुद्धिमानों में श्रेष्ठ, वायुपुत्र, वानरयूथों के मुखिया, श्रीरामदूत हनुमान की शरण में जाता हूँ।

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्। 

आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्॥ 34

‘राम राम’ का मधुर स्वर से कूजन करने वाले, मधुर अक्षरों में, कविता रूपी शाखा पर बैठे वाल्मीकि रूपी कोकिल को वंदन करता हूँ।

आपदां अपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्। 

लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्॥ 35

आपदाओं को हरने वाले, सभी सम्पदाओं के दाता, लोकों को अभिराम श्रीराम को बार-बार नमस्कार करता हूँ।

भर्जनं भवबीजानां अर्जनं सुखसम्पदाम्। 

तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्॥ 36

भव-बीज (संसार रूपी बीज) का भंजन करने वाला, सुख-सम्पदा का अर्जन करने वाला, यमदूतों का तर्जन करने वाला, ‘राम राम’ का गर्जन है।

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे।

 रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः। 

रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोस्म्यहम्।

 रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर॥ 37

राम राजमणि सदा विजय प्राप्त करें, राम, रमेश का भजन करता हूँ। राम द्वारा निशाचरों की सेना का संहार हुआ, राम को नमस्कार है। राम से बढ़कर कोई परायण नहीं, राम का दास हूँ। राम में मेरा चित्त सदा लीन हो, हे राम! मुझे उद्धारें।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। 

सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥ 38

हे वरानने! ‘राम राम’ का जप ‘सहस्रनाम’ के जप के तुल्य है।

इति श्रीबुधकौशिकमुनि विरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम्॥

इस प्रकार श्रीबुधकौशिक मुनि द्वारा रचित श्रीरामरक्षास्तोत्र सम्पूर्ण होता है।

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हनुमान चालीसा हिंदी में PDF

श्री राम रक्षा स्तोत्र के साथ ध्यान

ध्यान की विधि

राम रक्षा स्तोत्र के साथ ध्यान करने की विधि बहुत ही सरल है। इसे पढ़ने के बाद शांतिपूर्ण तरीके से ध्यान लगाना चाहिए और भगवान राम का स्मरण करना चाहिए।

ध्यान के लाभ

श्री राम रक्षा स्तोत्र के साथ ध्यान करने से मानसिक शांति, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक विकास होता है। यह व्यक्ति को भगवान के निकट ले जाता है।

श्री राम रक्षा स्तोत्र के उपदेश

जीवन के सिद्धांत

श्री राम रक्षा स्तोत्र जीवन के सिद्धांतों को सिखाता है। यह व्यक्ति को सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

नैतिक मूल्य

श्री राम रक्षा स्तोत्र नैतिक मूल्यों को सिखाता है। यह व्यक्ति को अच्छे कर्म करने और बुराई से दूर रहने की शिक्षा देता है।

राम रक्षा स्तोत्र और योग

योग का महत्व

योग का जीवन में बहुत महत्व है और राम रक्षा स्तोत्र के साथ योग करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य मिलता है।

योग और स्तोत्र का समन्वय

राम रक्षा स्तोत्र और योग का समन्वय व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास प्रदान करता है। यह समन्वय जीवन को संतुलित और सुखमय बनाता है।

श्री राम रक्षा स्तोत्र की लोकप्रियता

भारतीय समाज में

श्री राम रक्षा स्तोत्र भारतीय समाज में बहुत लोकप्रिय है। इसे विभिन्न अवसरों पर पढ़ा जाता है और इसका पाठ धार्मिक स्थलों पर नियमित रूप से किया जाता है।

वैश्विक समाज में

श्री राम रक्षा स्तोत्र की लोकप्रियता वैश्विक स्तर पर भी बढ़ रही है। विभिन्न देशों में रह रहे भारतीय और अन्य धर्मावलंबी भी इसका पाठ करते हैं।

राम रक्षा स्तोत्र का संगीतमय प्रस्तुति

गायक और कलाकार

राम रक्षा स्तोत्र का संगीतमय प्रस्तुति विभिन्न गायकों और कलाकारों द्वारा किया गया है। यह प्रस्तुति व्यक्ति को मानसिक शांति और आनंद प्रदान करती है।

संगीत की धुन

श्री राम रक्षा स्तोत्र की संगीतमय प्रस्तुति में संगीत की धुन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह व्यक्ति के मन को शांति और स्थिरता प्रदान करती है।

श्री राम रक्षा स्तोत्र से संबंधित कहानियाँ

प्रेरक कहानियाँ

श्री राम रक्षा स्तोत्र से संबंधित अनेक प्रेरक कहानियाँ हैं जो व्यक्ति को प्रेरणा देती हैं और भगवान राम की कृपा का अनुभव कराती हैं।

ऐतिहासिक कहानियाँ

राम रक्षा स्तोत्र से संबंधित अनेक ऐतिहासिक कहानियाँ भी हैं जो इसके महत्व और प्रभाव को दर्शाती हैं।

निष्कर्ष – समापन विचार

श्री राम रक्षा स्तोत्र एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है जो व्यक्ति को मानसिक शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक विकास प्रदान करता है। इसका पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।

भविष्य की दृष्टि

भविष्य में भी राम रक्षा स्तोत्र का महत्व और प्रभाव बढ़ता रहेगा। यह व्यक्ति को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता रहेगा।

Ram Raksha Stotra In Hindi – FAQ

राम रक्षा स्तोत्र क्या है?

श्री राम रक्षा स्तोत्र एक धार्मिक ग्रंथ है जो भगवान श्रीराम की स्तुति और रक्षा के लिए रचा गया है।

श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ कैसे करें?

श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल और सायंकाल में स्वच्छ और शांतिपूर्ण स्थान पर किया जाना चाहिए।

राम रक्षा स्तोत्र के लाभ क्या हैं?

श्री राम रक्षा स्तोत्र के पाठ से मानसिक शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक विकास होता है।

क्या राम रक्षा स्तोत्र का वैज्ञानिक प्रमाण है?

हाँ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से राम रक्षा स्तोत्र का अध्ययन किया गया है और इसके पाठ से मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।

राम रक्षा स्तोत्र कहाँ से प्राप्त कर सकते हैं?

श्री राम रक्षा स्तोत्र विभिन्न पुस्तकों, वेबसाइट्स और ऐप्स पर उपलब्ध है।

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